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चरक संहिता आयुर्वेद का एक प्रमुख ग्रंथ है, जिसे भारत के प्राचीन आयुर्वेदाचार्य चरक ने संकलित किया। यह पुस्तक आयुर्वेद के मूल सिद्धांतों, चिकित्सा पद्धतियों और जीवनशैली के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है। माना जाता है कि यह पुस्तक आयुर्वेद के सिद्धांतों को व्यवस्थित रूप में प्रस्तुत करने वाली पहली किताब थी।

चरक संहिता की विशेषताएँ

  1. प्राचीन चिकित्सा पद्धति का ज्ञान: चरक संहिता में शरीर के विभिन्न अंगों, उनके कार्यों, रोगों और उनके उपचार पर विस्तृत चर्चा की गई है। यह आयुर्वेद के सबसे पुराने और सबसे प्रमुख ग्रंथों में से एक है। इसमें चिकित्सा, आहार, जीवनशैली, औषधियों और उनके उपयोग के बारे में गहरी जानकारी दी गई है।
  2. आयुर्वेद के सिद्धांत: इस पुस्तक में त्रिदोष सिद्धांत (वात, पित्त, कफ) और पंचतत्त्व (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) के बारे में बताया गया है। ये सिद्धांत आयुर्वेद की बुनियाद हैं और शरीर की समग्र स्थिति को समझने में मदद करते हैं।
  3. चिकित्सा पद्धतियाँ: चरक संहिता में रोगों का निदान और उपचार के विभिन्न तरीके जैसे कि आहार, वमन, विरेचन, बस्ती, और रक्तमोचन का वर्णन किया गया है। ये उपाय शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
  4. आध्यात्मिक दृष्टिकोण: चरक संहिता में केवल शारीरिक स्वास्थ्य पर ही नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य पर भी जोर दिया गया है। यह पुस्तक जीवन के सम्पूर्ण दृष्टिकोण को समग्र रूप से प्रस्तुत करती है, जिसमें शारीरिक, मानसिक, और आत्मिक स्वास्थ्य का संतुलन शामिल है।
  5. संस्कार और जीवनशैली: चरक संहिता में जीवनशैली को लेकर भी कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं। जैसे कि आहार-विहार, दिनचर्या, ऋतुचर्या, और मानसिक स्थिति को संतुलित करने के तरीके। यह जीवन को संतुलित और स्वस्थ बनाने के लिए आवश्यक उपायों का वर्णन करती है।

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रोगी स्वयम चिकित्सक

“रोगी स्वयम चिकित्सक” पुस्तक, जो राजीव दीक्षित के शोध पर आधारित है, प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ महार्षि वाग्भट्ट के ‘अष्टांग हृदय’ और ‘संग्रह’ पर आधारित है, में हमें अपने घर के किचन और घरेलू उपचार से स्वास्थ्य सुधारने के तरीके बताए गए हैं। इस पुस्तक में प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को आधुनिक जीवनशैली में कैसे लागू किया जा सकता है, यह दर्शाया गया है।

मुख्य बिंदु

  1. आयुर्वेद और दैनिक आदतें: पुस्तक में आयुर्वेद के सिद्धांतों का पालन करते हुए स्वस्थ जीवन जीने के तरीकों पर जोर दिया गया है। यह बताता है कि प्राचीन समय में हम जो खाते थे, वही हमारे शरीर और स्वास्थ्य के लिए सर्वश्रेष्ठ था।
  2. खाद्य और स्वास्थ्य: यह पुस्तक हमें बताती है कि आजकल जो भोजन हम खाते हैं, वह हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। जैसे दूध में केमिकल्स और दवाइयाँ, केले में आर्टिफिशियल ठंडक, और दालों में पॉलिशिंग आदि। पुस्तक में यह समझाया गया है कि कैसे हमारे खानपान में बदलाव आ गया है और किस तरह हम धीरे-धीरे बुरे स्वास्थ्य की ओर बढ़ रहे हैं।
  3. घर में उपचार और आयुर्वेदिक उपाय: इस पुस्तक में घरेलू उपचार, किचन में उपलब्ध वस्तुओं का उपयोग, और आयुर्वेदिक चिकित्सा विधियों को बताया गया है। यह यह भी बताती है कि हम बिना डॉक्टर के अपनी देखभाल कैसे कर सकते हैं और छोटी-छोटी बीमारियों से निजात पा सकते हैं।
  4. स्वदेशी चिकित्सा और स्व-चिकित्सा: “स्वदेशी चिकित्सा” पर ध्यान केंद्रित करते हुए, यह पुस्तक हमें यह सिखाती है कि हमें आयुर्वेद के सिद्धांतों का पालन करके स्व-चिकित्सा और रोगों की रोकथाम करनी चाहिए। इसमें घरेलू उपचार और औषधियों का उपयोग जीवनशैली में कैसे करें, यह बताया गया है।
  5. आयुर्वेदिक खाना पकाने और स्वास्थ्य: पुस्तक में आयुर्वेदिक खाना पकाने के तरीकों को भी बताया गया है, जो स्वस्थ शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। इसमें यह भी बताया गया है कि आहार में विशेष प्रकार के भोजन और मसालों को कैसे शामिल किया जाए।
  6. बच्चों की देखभाल और स्वदेशी उपाय: बच्चों की स्वास्थ्य देखभाल के लिए आयुर्वेदिक दृष्टिकोण पर भी प्रकाश डाला गया है। यह पुस्तक बच्चों के लिए स्वदेशी चिकित्सा और स्वास्थ्यप्रद उपायों का सुझाव देती है।

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“आयुर्वेद सार संग्राह” पुस्तक समीक्षा (लेखक: बैद्यनाथ)

“आयुर्वेद सार संग्राह” बैद्यनाथ द्वारा लिखित एक महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक ग्रंथ है, जो आयुर्वेद के सिद्धांतों और उपचार पद्धतियों का सार प्रस्तुत करता है। यह पुस्तक आयुर्वेद की मूलभूत अवधारणाओं, चिकित्सा विधियों और स्वास्थ्य के रख-रखाव के बारे में गहरी जानकारी प्रदान करती है। बैद्यनाथ आयुर्वेदिक चिकित्सा के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित नाम हैं, और इस पुस्तक में उन्होंने प्राचीन आयुर्वेदिक ज्ञान को सरल और प्रभावी तरीके से प्रस्तुत किया है।

मुख्य बिंदु

  1. आयुर्वेद का संक्षिप्त परिचय: पुस्तक में आयुर्वेद के मौलिक सिद्धांतों जैसे त्रिदोष (वात, पित्त, कफ), पंचतत्त्व (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) और शरीर की संरचना के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। इसे समझने में सरलता के लिए इसे संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिससे पाठक आसानी से आयुर्वेद की जटिलताओं को समझ सकें।
  2. स्वस्थ जीवनशैली और आहार: पुस्तक में आयुर्वेद के अनुसार स्वस्थ जीवन जीने के विभिन्न उपायों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। यह हमें सही आहार, दिनचर्या, और जीवनशैली अपनाने के बारे में मार्गदर्शन करती है। इसमें बताया गया है कि किस तरह हमारे आहार और आदतें हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं, और आयुर्वेद किस तरह इनको संतुलित कर सकता है।
  3. घरेलू उपचार और औषधियाँ: आयुर्वेद में घरेलू उपचारों की विशेष महत्ता है, और इस पुस्तक में बैद्यनाथ ने घरेलू औषधियों और किचन सामग्री के उपयोग को विस्तार से बताया है। इसके माध्यम से हम बिना किसी डॉक्टर के भी कई स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान अपने घर में कर सकते हैं।
  4. स्वास्थ्य और रोगनिरोधक उपाय: पुस्तक में न केवल रोगों के इलाज की विधियाँ दी गई हैं, बल्कि रोगों से बचाव के उपाय भी बताए गए हैं। आयुर्वेद के अनुसार, हर रोग की शुरुआत असंतुलन से होती है, और इसे रोकने के लिए समय-समय पर अपने शरीर का संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।
  5. आध्यात्मिक और मानसिक स्वास्थ्य: बैद्यनाथ ने आयुर्वेद को केवल शारीरिक स्वास्थ्य तक सीमित नहीं रखा, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के महत्व को भी इस पुस्तक में रेखांकित किया है। यह समझाया गया है कि मानसिक शांति और संतुलन शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

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